भारतीय किशोर Gukesh Dommaraju ने गुरुवार को Chess की दुनिया में इतिहास रचते हुए महज 18 साल की उम्र में सबसे युवा विश्व चैंपियन का खिताब अपने नाम कर लिया। चेन्नई में जन्मे इस प्रतिभावान खिलाड़ी ने सिंगापुर में आयोजित मुकाबले में मौजूदा चैंपियन चीन के डिंग लिरेन को हराया। फिडे वर्ल्ड चेस चैंपियनशिप में $2.5 मिलियन (करीब ₹20.6 करोड़) की इनामी राशि थी।
यह जीत गुकेश के शानदार करियर का अब तक का सबसे बड़ा पल साबित हुआ। गुकेश ने 12 साल और सात महीने की उम्र में ग्रैंडमास्टर बनने का कारनामा किया था और तभी उन्होंने खुलकर कहा था कि उनका सपना विश्व चैंपियन बनने का है।
Gukesh ने खुलासा किया कि सात साल की उम्र में विश्व चैंपियनशिप देखने के दौरान उनके मन में यह सपना आया। वह 2013 में विश्वनाथन आनंद और मैग्नस कार्लसन के बीच हुए मैच में दर्शक के तौर पर शामिल हुए थे। लेकिन उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि यह सपना इतनी जल्दी साकार होगा।
Gokesh World Chess के 18वें चैंपियन बने हैं। 1886 में पहली बार आयोजित चैंपियनशिप के विजेता विल्हेम स्टाइनिट्ज़ से लेकर अब तक यह सफर जारी है। मई 2006 में जन्मे गुकेश अब तक के सबसे युवा खिलाड़ी हैं जिन्होंने यह मुकाम हासिल किया है। उन्होंने पूर्व चैंपियन गैरी कास्पारोव का रिकॉर्ड तोड़ दिया, जिन्होंने 22 साल की उम्र में 1985 में यह खिताब जीता था।
14 Game की सीरीज में दोनों खिलाड़ियों ने दो-दो जीत दर्ज की थी। अंतिम और 14वें गेम में सबकुछ तय होना था। जब यह गेम ड्रॉ की ओर बढ़ रहा था, तब डिंग लिरेन ने 55वें मूव में गलती कर दी। गुकेश ने इसका फायदा उठाकर खिताब अपने नाम कर लिया।
पिछले तीन वर्षों में गुकेश ने अद्भुत उपलब्धियां हासिल की हैं। उन्होंने पिछले दो ओलंपियाड्स में व्यक्तिगत गोल्ड मेडल जीता और 2022 में चेन्नई में भारत को टीम ब्रॉन्ज तथा 2024 में बुडापेस्ट में टीम गोल्ड दिलाने में अहम भूमिका निभाई। गुकेश ने कैंडिडेट्स टूर्नामेंट भी जीता, जिसने उन्हें डिंग लिरेन के खिलाफ चुनौती पेश करने का मौका दिया।
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हालांकि, इस सफर में गुकेश को कई मुश्किलें झेलनी पड़ीं। उनके मेंटर और पांच बार के विश्व चैंपियन विश्वनाथन आनंद ने एक समय गुकेश को इस मुकाम के लिए अयोग्य माना था। आनंद का कहना था कि गुकेश के पास पर्याप्त अनुभव नहीं है।
लेकिन Gukesh ने अपने प्रदर्शन से सबको गलत साबित कर दिया। उन्होंने शुरुआती गेम हारने के बाद गेम 3 में बराबरी की और गेम 11 में बढ़त बना ली। हालांकि, डिंग ने गेम 12 में जीत हासिल कर सीरीज को बराबरी पर ला दिया। लेकिन निर्णायक गेम में गुकेश ने अपनी मानसिक दृढ़ता और कौशल का प्रदर्शन करते हुए खिताब जीता।
Chennai के इस ग्रैंडमास्टर की जीत एक अकेले खिलाड़ी की जीत नहीं है। यह भारत के मजबूत शतरंज तंत्र की सफलता भी है। भारत में 85 से ज्यादा ग्रैंडमास्टर हैं, जिनमें से कई की उम्र 18 साल से कम है। गुकेश जैसे खिलाड़ियों को भारतीय शतरंज संघ, उनके स्कूल और उनके परिवार से जबरदस्त समर्थन मिला है।
Gukesh के माता-पिता, जो पेशे से डॉक्टर हैं, ने अपने करियर को विराम देकर गुकेश के सपने को साकार करने में मदद की। उनके पिता राजिनीकांत एक सर्जन हैं और मां पद्मा एक माइक्रोबायोलॉजिस्ट। गुकेश के अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट्स के खर्च को पूरा करने के लिए उन्होंने अपने दोस्तों और शुभचिंतकों से आर्थिक मदद ली।
Gukesh को वेलामल विद्यालय, मोगाप्पैर से भी पूरा सहयोग मिला, जिसने उन्हें पढ़ाई में लचीलापन दिया। इसके अलावा, गुकेश वेस्टब्रिज आनंद चेस एकेडमी के सदस्य हैं, जिसे आनंद और वेस्टब्रिज कैपिटल द्वारा चलाया जाता है।
Chess के अलावा, Gukesh ध्यान, तैराकी और टेनिस में रुचि रखते हैं। उनका लक्ष्य दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी मैग्नस कार्लसन को पछाड़कर शीर्ष पर पहुंचना और लंबे समय तक इस मुकाम पर बने रहना है।
यह खिताबी जीत Gukesh के शतरंज करियर का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है, लेकिन उनके मुताबिक यह उनके जीवन के सफर में सिर्फ एक कदम है।
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