राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के अनुसार, भूकंप बुधवार सुबह करीब 7:27 बजे 40 किलोमीटर की गहराई पर आया और इसका केंद्र मुलुगु क्षेत्र के आसपास था।
बुधवार सुबह भूकंप तेलंगाना के मुलुगु में 40 किलोमीटर की गहराई पर आया। (प्रतीकात्मक फोटो)
तेलंगाना के मुलुगु जिले में बुधवार सुबह 7:27 बजे भूकंप के तेज झटकों ने लोगों को हिला कर रख दिया। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के अनुसार, भूकंप की तीव्रता 5.3 मापी गई। इस घटना के झटके तेलंगाना के अलावा आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और तमिलनाडु के कई हिस्सों में महसूस किए गए।
हैदराबाद में हिली इमारतें
हैदराबाद में बड़ी-बड़ी इमारतें हिलती नजर आईं, जिससे लोग डर के मारे घरों और दफ्तरों से बाहर भागने लगे। हालांकि, अब तक किसी के हताहत होने या संपत्ति को गंभीर नुकसान की खबर नहीं है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि भूकंप के दौरान उन्होंने अपने घर के दरवाजों और खिड़कियों को तेज आवाज के साथ हिलते हुए महसूस किया।
मुलुगु में रहने वाले शिवराम रेड्डी ने कहा, “यह पहली बार था जब मैंने धरती को इस तरह हिलते हुए महसूस किया। हमने तुरंत अपने परिवार को लेकर घर से बाहर खुले मैदान में शरण ली।”
दक्षिण भारत में भूकंप एक दुर्लभ घटना
विशेषज्ञों का मानना है कि तेलंगाना सहित दक्षिण भारत भूगर्भीय दृष्टि से स्थिर क्षेत्र है, जहां भूकंप की घटनाएं दुर्लभ हैं। इस घटना ने लोगों को चिंता में डाल दिया है, खासकर उन क्षेत्रों में, जहां भूकंप का अनुभव पहली बार हुआ।
भूकंप के दौरान क्या करें?
आपातकालीन स्थितियों में जान बचाने के लिए ये उपाय करें:
- मजबूत फर्नीचर के नीचे छुपें: अगर झटके तेज हों, तो तुरंत किसी मजबूत टेबल या फर्नीचर के नीचे बैठें और सिर को हाथों से ढक लें।
- लिफ्ट का इस्तेमाल न करें: ऊंची इमारतों में रहें तो लिफ्ट का उपयोग न करें, सीढ़ियों का सहारा लें।
- खुले स्थान पर जाएं: भूकंप के बाद बिल्डिंग, पेड़, बिजली के खंभे या पुल के आसपास खड़े होने से बचें।
- वाहन रोकें: अगर वाहन चला रहे हों, तो गाड़ी को खुली जगह में रोककर वहीं रुकें।
अलर्ट रहने की जरूरत
यह घटना एक याद दिलाती है कि प्राकृतिक आपदाओं के प्रति सतर्क रहना कितना जरूरी है। सरकार और स्थानीय प्रशासन ने लोगों से घबराने के बजाय सतर्कता बरतने और सुरक्षा उपायों का पालन करने की अपील की है।
तेलंगाना और अन्य राज्यों में हुई यह घटना एक संकेत है कि चाहे क्षेत्र कितना भी सुरक्षित क्यों न माना जाए, प्राकृतिक आपदाओं के लिए तैयार रहना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।