नई दिल्ली: आगामी सोमवार को लोकसभा में ‘एक देश, एक चुनाव’ (One Nation, One Election) को लागू करने के लिए दो प्रमुख विधेयक पेश किए जाएंगे। केंद्रीय विधि और न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल इन विधेयकों को पेश करेंगे। ये विधेयक पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों के आधार पर तैयार किए गए हैं। यह समिति कानून मंत्रालय द्वारा 2 सितंबर, 2023 को नियुक्त की गई थी।
गुरुवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024 और केंद्र शासित प्रदेश कानून (संशोधन) विधेयक, 2024 को मंजूरी दी। शुक्रवार शाम इन विधेयकों को सांसदों के बीच वितरित किया गया।
क्या हैं विधेयकों के प्रमुख प्रावधान?
इन विधेयकों के अनुसार, लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभाओं के लिए चुनाव एक साथ कराए जाएंगे। यह प्रावधान “एक निश्चित तिथि” से लागू होगा, जिसे राष्ट्रपति द्वारा लोकसभा के पहले सत्र के दिन अधिसूचित किया जाएगा।
संविधान संशोधन विधेयक में नया अनुच्छेद 82(A) जोड़ा गया है। इसमें कहा गया है कि “राष्ट्रपति लोकसभा के पहले सत्र के दिन अधिसूचना जारी कर इस अनुच्छेद के प्रावधानों को लागू कर सकते हैं। इस अधिसूचना की तिथि को ‘निश्चित तिथि’ (appointed date) कहा जाएगा।”
अनुच्छेद 82(A):
“निश्चित तिथि के बाद और लोकसभा के पूर्ण कार्यकाल की समाप्ति से पहले आयोजित सभी राज्य विधानसभाओं के कार्यकाल उस तिथि पर समाप्त हो जाएंगे जब लोकसभा का पूर्ण कार्यकाल समाप्त होगा।”
कार्यकाल में कटौती की संभावना
इस प्रावधान के तहत, राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल लोकसभा के पूर्ण कार्यकाल के साथ समाप्त होगा। उदाहरण के लिए, 2024 में चुनी गई लोकसभा का कार्यकाल पहले ही शुरू हो चुका है। इसलिए, यह प्रावधान 2029 में चुनी जाने वाली लोकसभा के पहले सत्र से लागू हो सकता है।
इसका मतलब है कि 2034 में, जब 2029 में चुनी गई लोकसभा का कार्यकाल समाप्त होगा, तब पूरे देश में एक साथ चुनाव कराए जा सकते हैं।
कौन-कौन से अनुच्छेदों में होंगे बदलाव?
संविधान संशोधन विधेयक के तहत निम्नलिखित अनुच्छेदों में संशोधन किया जाएगा:
- अनुच्छेद 83: संसद के सदनों की अवधि।
- अनुच्छेद 172: राज्य विधानसभाओं की अवधि।
- अनुच्छेद 327: चुनाव से संबंधित प्रावधानों को बनाने का संसद का अधिकार।
केंद्र शासित प्रदेशों के लिए विधेयक में दिल्ली, जम्मू-कश्मीर और पुडुचेरी की विधानसभाओं के प्रावधानों में समान संशोधन प्रस्तावित हैं।
मध्यावधि चुनाव पर क्या होगा प्रभाव?
यदि लोकसभा या किसी राज्य अथवा केंद्र शासित प्रदेश की विधानसभा का कार्यकाल पूर्ण होने से पहले समाप्त हो जाता है, तो वहां मध्यावधि चुनाव केवल शेष कार्यकाल के लिए ही कराए जाएंगे।
महंगे और समय-consuming चुनावों का समाधान
सरकार ने विधेयक के उद्देश्यों और कारणों के विवरण में बताया कि बार-बार चुनाव कराना महंगा और समय लेने वाला है। एक साथ चुनाव कराने से न केवल खर्च में कमी आएगी, बल्कि प्रशासनिक दक्षता भी बढ़ेगी।
हालांकि, विधेयक में सटीक लागत और इसे लागू करने की समय-सीमा का उल्लेख नहीं किया गया है।
‘एक देश, एक चुनाव’ का बड़ा कदम
सरकार का कहना है कि यह प्रावधान देश को बार-बार होने वाले चुनावों की समस्या से निजात दिलाएगा। इससे चुनाव प्रक्रिया अधिक प्रभावी और सुव्यवस्थित होगी।
सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एक साथ चुनावी प्रक्रिया में लाना बड़ा प्रशासनिक कदम माना जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि इसे लागू करने के लिए राजनीतिक सहमति और राज्य सरकारों के साथ व्यापक परामर्श की आवश्यकता होगी।
राजनीतिक चर्चाएं तेज
‘एक देश, एक चुनाव’ को लेकर राजनीतिक और सामाजिक हलकों में चर्चाएं तेज हो गई हैं। विपक्षी दलों ने इसके प्रावधानों पर सवाल उठाए हैं। उनका तर्क है कि इससे राज्यों के अधिकारों में कटौती हो सकती है। वहीं, समर्थक इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया को सरल और अधिक पारदर्शी बनाने वाला कदम मानते हैं।
सरकार का कहना है कि यह विधेयक देशहित में है और इससे चुनावी सुधारों की दिशा में बड़ा बदलाव आएगा। अब देखना यह होगा कि संसद में इस विधेयक को कितनी सहमति मिलती है।